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निरहुआ के एंट्री से कंफ्यूजीआइल जनता

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Monday, 1 April 2019


भईया लोगन चुनाव निअरा गइल बा और जेके देखा ऊ कउनो  ने कउनो राजनीतिक पार्टी ज्वाईन कइल चाहत बा। अब  अपने निरहुआ भईया के देख ला उ हो अब चाऊकिदार हो गइलें, अरे मतलब BJP ज्वाइन कई लेहने हो ।अब ते यादव भईया अउर यूपी के पब्लिकवा  कंफ्यूजिया गइल बाटे औऱ कंफ्यूजिअहिये काहे नही ,अब रॉउरे सोची अगर निरहुआ भईया वो ही जगह से चुनाव लड़े जहा से अखिलेश यादव जी लड़त बानी अउर रउआ यादव हई और दुनो नेतवो यादव हवे , एगो नेता अउर दुसरका अभिनेता और रउआ दोनों के प्रसंसक हई ते रउआ के के वोट देब। आपहु  कंफ्यूजीआ गइली ने । ईहे हाल भईल बा यादव भईया लोगन के जे जाति देख के वोट देवेला।
एक ओर अखिलेश यादव जी बानी जे पिछले बेर यूपी के  मुख्यमंत्री रहले। उनपर भ्र्ष्टाचार के आरोप बा, CBI के जांच चलत बा लेकिन उनके लगे राजनीति के अनुभवो ते बा , उ शासन ,प्रशासन सब जानत बाटे, एगो बढ़िया नेता हवे, जनता के ख़ातिन बहुत कुछ कइले बाटे, और यादव भईया लोगन ते उनके खूब  प्यार करे ले।।
अउर दूसरे ओर निरहुआ भईया यानी दिनेश लाल यादव जी बाने जेकरा लगे राजनीति के अनुभव ते नाही बा लेकिन खुद के भोजपुरिया स्टार सुनले के अनुभव खूब बा। ई गांव-घर से आये वाला अभिनेता हवे, जमीन से जुडल रहे ले, ई गांव के गरीब जनता के दुःख-दर्द ,परेसानी बढ़िया से समझत होइहे अऊर इनहू के यूपी और बिहार के जनता खूब प्यार करेले।निरहुआ के जीतले के प्लस पोइन्ट ई बा कि ई मोदी और योगी के आड़ में चुनाव लड़त बाटे।
अश्विनी विश्वकर्मा-

गरीबों को चुनावी रिश्वत

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Thursday, 28 March 2019


चुनावो का दौर चल रहा है और तमाम राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने के लिए नये -नये पैंतरे अपना  रही है । बड़ी - बड़ी चुनावी घोषणाएं हो रही है। कांग्रेस ने भी एक ऐसा ही ऐतिहासिक घोषणा किया है जिसमे  वह देश के  20 % सबसे ज्यादा गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपए देने का वादा कर रही है।

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश से कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वो देश के 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपए देगी। जिसका लाभ 5 करोड़ परिवार और लगभग 25 करोड़ गरीब जनता को होगा। यह रकम 6000 - 6000 रुपये महीना करके उनके घर के महिला मुखिया के खाते में डाली जाएगी । यदि ऐसा होता है तो हम सभी को बड़ी प्रसन्ता होगी ।हमारे देश मे जो गरीबी की समस्या है वो कुछ हद तक कम हो सकेगी ।
हालांकि भोली भाली गरीब जनता इस योजना के बारे में सुनकर और लालच में आकर कांग्रेस को वोट तो दे देगी परन्तु क्या इस "न्याय" योजना से जमीनीस्तर पे जो गरीब है उनको सच में  न्याय मिलेगा । यदि भाविष्य में यह योजना लागू हुई तो उन गरीबो को फायदा होगा जो केवल कागज़ी फाइलों में गरीब है। असल में जो गरीब है, जो ऐसी किसी भी योजना के असली हकदार है उन तक ये सभी सुविधाएं नही पहुचेगी क्योकिं किसी भी सरकार के  पास सभी असल गरीबो के ठीक - ठीक आकड़े नही है। सरकार के पास वे ही आकड़े है जो गांव के सरपंच, कोटेदार, सिकरेट्री ने उन्हें मुहैया कराये है। मैने निजीतौर पर गांवों में ये देखा है कि जो असल गरीब है उनके पास न तो राशनकार्ड है और है भी तो पात्र गृहस्ति का जबकि वे अंत्योदय कार्ड के हकदार है । जिन लोगो का परिवार सम्पन्न है घर मे सरकारी नौकरी है वे लोग सरपंच से साठ-गांठ करके अंत्योदय कार्ड बनवाकर गरीबो का हक छीन रहे है।
मेंरे कहने का तातपर्य यह है कि चाहे सरकार कोई भी आये , गरीबो के हित मे जो योजनाए लानी है ले आये परन्तु सबसे पहले असल गरीबो की पहचान करें ,गरीबी के सटीक आकड़े जुटाये, बिचौलियों को पकड़े उनपर कार्यवाही करें।
अश्वनी विश्वकर्मा-

JNU से गायब छात्र नजीब अहमद की ISIS में शामिल होने की अफवाह फिर से चरम पर

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Tuesday, 19 March 2019

15 मार्च को प्रधानमंत्री जी का ट्वीट आता है जिसमे वह खुद को चौकीदार बताते है।16 मार्च को उसी ट्वीट का जवाब देते हुए नजीब की माँ पूछती है की अगर आप चौकीदार है तो ये बताये की मेरा बेटा नजीब कहाँ है?
नजीब अक्टूबर 2016 में ABVP के सदस्यों से हाथापाई के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से गायब हो गए थे।


जिसके बाद सोशल मीडिया पर फिर अफवाहों कि आंधी तेज हो जाती है जो यह दावा करता है की नजीब ने ISIS ज्वाइन कर लिया है। यह सन्देश इस प्रकार है-

“अरे अपना नजीब… JNU वाला नजीब… आज़ादी गैंग वाला नजीब !! वामी कामी गिरोह का दुलारा नजीब …JNU से डाइरेक्टर प्लेसमेंट हुआ है ISIS में !! सीरिया से राहुल जी और केजरी सर जी को सलाम भेजा है !!”


क्या है सच?



असल में संदेश के साथ इस्तेमाल की गई तस्वीर ISIS लड़ाकों की है जो रॉयटर्स द्वारा मार्च 2015 में खींची गई थी।
इसे www.reuters.com पर अपलोड किया गया था जो 'Battle for Iraq' शीर्षक में 29 pics के कलेक्शन में तीसरा तस्वीर है।
तस्वीर के साथ कुछ ऐसा लिखा है:-
"Shiite fighters stands near a wall painted with the black flag commonly used by Islamic State militants in the town of Tal Ksaiba, near the town of al-Alam, March 7, 2015. REUTERS/Thaier Al-Sudani"
इमेज लिंक:-
https://www.reuters.com/news/picture/battle-for-iraq-idJPRTR4SOP1

दरसल यह अफवाह 2018 से ही उठ रहा है जिस मैसेज में यह लिखा था :-
'याद है JNU का नजीब? ABVP, हिन्दुओं और मोदी पर लगाया गया था इसे गायब करने का आरोप। इसने अपनी अम्मी को टेलीग्राम पर भेजा है संदेश: "अम्मी मैंने ISIS ज्वाइन कर ली, इंसाल्लाह अब अल्लाह के लिए जिहाद करूँगा।”

यह खबर फेसबुक पर हजारों बार शेयर की गयी यहां तक की बीजेपी के ही कुछ नेताओं ने बिना सत्यता की जांच किये अपने ट्विटर अकाउंट से रिट्वीट किया था।

दरसल, जिसकी ISIS में शामिल होने की बात की गयी थी वह नजीब वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) का एक छात्र था जिसकी उम्र 23 साल थी और वह केरल से अगस्त 2017 में गायब हुआ था।NEWS18 द्वारा ये खबर 21 सितम्बर,2017 को पब्लिश किया गया था:-
News18:नजीब


कमाल की बात है, एक नजीब 2016 में गायब होता है और दूसरा 2017 में पर कोई बड़े मजे से दोनों को मिक्स करके अफवाहों का एक कॉकटेल तैयार करता है जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म से सीधे आप तक पहुँचा देता है और आप उसे सच मानकर सीधे शेयर कर देते है। नजीब को लेकर अक्सर अफवाहें उठती रहती है, ऐसे में मेरा आपसे निवेदन है की ऐसे अफवाहों को शेयर करने से बचे।
Yash Pradeep-

भाजपा-कांग्रेस के ट्विटर वॉर के बीच फंसे 'चौकीदार' का असल सच

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Monday, 18 March 2019


"मैं भी चौकीदार", "मैं भी चौकीदार, "मैं भी चौकीदार... माफ़ करिये मै चौकीदार नही हूं लेकिन आजकल सोशल मीडिया पर हमारे मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक चौकीदार जरूर बन गए है।ज़्यादा चकित होने की जरूरत नही क्योंकि पिछले चुनाव में यही 'चायवाले' थे जो अब अपग्रेड होकर चौकीदार बन गए हैं।एक बात मै स्पष्ट करना चाहता हूं - मै ना तो 'एंटी-बीजेपी' हूं और न ही 'एंटी-कांग्रेस'।कौन सी राजनीतिक पार्टी या कौन सा नेता कितना सक्षम है यह अपना व्यक्तिगत सोच-विचार होता है।हालांकि ये चलन 'कमल' का है माफ़ कीजिये 'कमाल' का है क्योंकी इसके ज़्यादातर शिकार हमारे युवा है जो अपने नाम के आगे 'चौकीदार' जोड़ कर राजनैतिक शिकार हो रहे हैं।खैर, यदि आपने भी अपने नाम के आगे 'चौकीदार' जोड़ रखा है तो आइये इस चुनाव में इसे एक मुद्दा बना कर एक लड़ाई उन असल चौकीदारों के लिए भी लड़ें जिनकी सैलरी कम होने के साथ ही लाइफ सिक्योरिटी ना के बराबर होती है। इससे पहले भी हमारे सहयोगी मित्र ने इसे लेकर एक पोस्ट डाला था लेकिन अब ऐसा लगता है इसे एक मुद्दा बनाने की जरूरत है ताकि कम से कम इस चुनाव इनका भला हो जाये।आखिर चौकीदार बनना इतना आसान कब से हो गया यह सोचने वाली बात है क्योंकि चौकीदार वह है जो 10,000 रूपये की सैलेरी पाता है और पूरी रात ईमानदारी से ड्यूटी करता है।दुर्भाग्य से यदि कोई दुर्घटना घटित होती है तो इनके परिवार की सिक्योरिटी को लेकर कोई प्रबंध नही होता है।शायद अब और अधिक स्पष्ट करने की जरूरत नही की एक चौकीदार की जिंदगी कैसी होती है।आपको यह भी समझने की जरूरत है, किसी भी टैगलाइन या स्लोगन का इस्तेमाल केवल कस्टमर या लोगों को लॉयल बनाने के लिए किया जाता है ऐसे में "मै भी हूं चौकीदार" या "चौकीदार ही चोर है" एक राजनीतिक टूल है जो लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करने के काम आ रहा है।असल चौकीदार की हालत तो वैसे भी इस देश में ठीक नही है तो आखिर किस अधार पर हमारे नेताजी खुद को चौकीदार बोल रहे है।अगर चौकीदारों से इतना ही लगाव है तो उनके वेतन और सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम क्यों नही उठाते।
Yash Pradeep-

"रउआ कइसन चऊकीदार हई "

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का आपहु चौकीदार हई ?अरे उहे चौकीदार जवन रतिया भर जग के अपने गांउआ के रखवारी करेला हो ताकि कउनो बहरवा या गँऊआ के चोर केहू अमीर आदमी के घर नाही लूट ले, हाँ हो खाली अमीर अदमी के घर काहेकि गरीब टोलवा के तरफ ते चौकीदार जइबे नाइ करेला, ओके लागेला की ओहर गईल बेकार बा । अगर आपहु चौकीदार हई ते रउरो लगे   एगो पिपहिरी अऊर डंडा ते होबे करि। डंडवा गावँ के कुकुरन से बचे ख़ातिन अऊर पिपहिरिया चोरवन के  आप से बचे ख़ातिन। रउआ अइसन चौकीदार हई तब ते रउआ ठीक-ठाक चौकीदारी कर रहल बानी। रुकी-रुकी कही रउआ वइसन चौकीदार ते नाइ हई जवन अपने घर से पिपहिरी अऊर डंडा लेके रखवारी खातीर निकले ला ते लेकिन  एगो पऊआ मार के गावँ के  चबूतरा पे मस और कुत्तन से अपने रखवारी करवावेला और चोर बगलिये के घर मे डांका डाल के रउआ डंडा लेकर ही भाग जाले। अगर आप अइसन चौकीदार हई ते हम ते कहब की रउआ चौकीदारी छोड़ दी और खुद के चौकीदार बोलावल बंद कर दी।
           प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू कइल गईल कैंपेन "मैं भी चौकीदार हूँ " में देश के ढेर  सारे BJP नेता और नरेंद्र मोदी के समर्थक खुद के चौकीदार कहत बाने। सोशल मीडिया में ई हैशटैग के साथे ट्रेंड करत रहल पर जइसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ट्वीटर पर आपन नाम बदल के  "चौकीदार नरेंद्र मोदी " कइले यानी कि अपने नमवा से पहिले चौकीदार जोड़ने एगो नया ट्रेंड शुरू हो गइल । फिर का रहे एक बाद एक BJP नेता लोगन, कार्यकर्ता लोगन, और मोदी के चाहे वाला भी अपने नमवा के आगे चौकीदार जोड़ देहले।।
          अब हमार सवाल ऊ सब सोशल मीडिया चौकीदार लोगन से ई बा की का अपने सोशल अकॉउंटवा पे चौकीदार जोड़ देहले से ऊ सही में चौकीदार हो गईले?
का अब ऊ खुद चोरी नाही करिहें?
का उ दूसरे के भी चोरी करे नाइ दिहे?
का अब ऊ अपने घर , गावँ ,नगर, जिला,राज्य अउर देश के रखवारी ईमानदारी से करिहें??
Ashwani Vishwakrma
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