"माँ " पे लिखे कुछ मशहूर शेर
✴️ अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नही होगा
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है,
✴️ चलती फिरती हुई आंखों से अजाँ देखी है
मैं ने ज़न्नत तो नही देखी है माँ देखी है,
✴️ बर्बाद कर दिया हमे परदेश ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मजे में है,
✴️ जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है,
✴️ कल अपने आप को देखा था माँ की आंखों में
ये आईना हमे बूढ़ा नही बताता है,
✴️ माँ ख्वाब में आ कर ये बता जाती है हर रोज
बेसीदा सी ओढ़ी हुई इस शाल में हम है ,
✴️ किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर मे सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई ,
✴️ निकलने ही नही देती है अश्को को मिरि आंखे
कि ये बच्चे हमेशा माँ की निगरानी में रहते है,
✴️ ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नही सकता
मैं जब तक घर न लौटू मेरी माँ सज्दे में रहती है,
✴️ बच्चे फरेब खा के चटाई पे सो गए
इक माँ उबलती रही पत्थर तमाम रात,
✴️ दूर रहती है सदा उन से बलाएँ साहिल
अपने माँ-बाप की जो रोज दुआ लेते है,
✴️ माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कही
सर पे आँचल नही होता है तो डर होता है,
✴️ शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना जेवर बेचा था
✴️ मैन कल शब चाहतो की सब किताबे फाड़ दी
बस इक कागज पे लिक्खा शब्द माँ रहने दिया ,
✴️ शहर के रास्ते हो चाहे गाँव की पगडंडिया
माँ की उंगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा,
✴️ दिन भर की मशक्कत से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकान भूल गई,
✴️ इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है,
✴️ मुनव्वर माँ के आगे यू कभी खुल कर नही रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नही होती ,
✴️ तेरे दामन में सितारे है तो होंगे ये फलक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी
✴️ निकलने ही नही देती है अश्को को मिरि आंखे
कि ये बच्चे हमेशा माँ की निगरानी में रहते है,
✴️ ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नही सकता
मैं जब तक घर न लौटू मेरी माँ सज्दे में रहती है,
✴️ बच्चे फरेब खा के चटाई पे सो गए
इक माँ उबलती रही पत्थर तमाम रात,
✴️ दूर रहती है सदा उन से बलाएँ साहिल
अपने माँ-बाप की जो रोज दुआ लेते है,
✴️ माँ मुझे देख के नाराज़ न हो जाए कही
सर पे आँचल नही होता है तो डर होता है,
✴️ शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए
किस की माँ ने कितना जेवर बेचा था
✴️ मैन कल शब चाहतो की सब किताबे फाड़ दी
बस इक कागज पे लिक्खा शब्द माँ रहने दिया ,
✴️ शहर के रास्ते हो चाहे गाँव की पगडंडिया
माँ की उंगली थाम कर चलना बहुत अच्छा लगा,
✴️ दिन भर की मशक्कत से बदन चूर है लेकिन
माँ ने मुझे देखा तो थकान भूल गई,
✴️ इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है,
✴️ मुनव्वर माँ के आगे यू कभी खुल कर नही रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नही होती ,
✴️ तेरे दामन में सितारे है तो होंगे ये फलक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी
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