Responsive Ad Slot

Latest

भाजपा-कांग्रेस के ट्विटर वॉर के बीच फंसे 'चौकीदार' का असल सच

Monday, 18 March 2019

/ by Yash Pradeep

"मैं भी चौकीदार", "मैं भी चौकीदार, "मैं भी चौकीदार... माफ़ करिये मै चौकीदार नही हूं लेकिन आजकल सोशल मीडिया पर हमारे मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक चौकीदार जरूर बन गए है।ज़्यादा चकित होने की जरूरत नही क्योंकि पिछले चुनाव में यही 'चायवाले' थे जो अब अपग्रेड होकर चौकीदार बन गए हैं।एक बात मै स्पष्ट करना चाहता हूं - मै ना तो 'एंटी-बीजेपी' हूं और न ही 'एंटी-कांग्रेस'।कौन सी राजनीतिक पार्टी या कौन सा नेता कितना सक्षम है यह अपना व्यक्तिगत सोच-विचार होता है।हालांकि ये चलन 'कमल' का है माफ़ कीजिये 'कमाल' का है क्योंकी इसके ज़्यादातर शिकार हमारे युवा है जो अपने नाम के आगे 'चौकीदार' जोड़ कर राजनैतिक शिकार हो रहे हैं।खैर, यदि आपने भी अपने नाम के आगे 'चौकीदार' जोड़ रखा है तो आइये इस चुनाव में इसे एक मुद्दा बना कर एक लड़ाई उन असल चौकीदारों के लिए भी लड़ें जिनकी सैलरी कम होने के साथ ही लाइफ सिक्योरिटी ना के बराबर होती है। इससे पहले भी हमारे सहयोगी मित्र ने इसे लेकर एक पोस्ट डाला था लेकिन अब ऐसा लगता है इसे एक मुद्दा बनाने की जरूरत है ताकि कम से कम इस चुनाव इनका भला हो जाये।आखिर चौकीदार बनना इतना आसान कब से हो गया यह सोचने वाली बात है क्योंकि चौकीदार वह है जो 10,000 रूपये की सैलेरी पाता है और पूरी रात ईमानदारी से ड्यूटी करता है।दुर्भाग्य से यदि कोई दुर्घटना घटित होती है तो इनके परिवार की सिक्योरिटी को लेकर कोई प्रबंध नही होता है।शायद अब और अधिक स्पष्ट करने की जरूरत नही की एक चौकीदार की जिंदगी कैसी होती है।आपको यह भी समझने की जरूरत है, किसी भी टैगलाइन या स्लोगन का इस्तेमाल केवल कस्टमर या लोगों को लॉयल बनाने के लिए किया जाता है ऐसे में "मै भी हूं चौकीदार" या "चौकीदार ही चोर है" एक राजनीतिक टूल है जो लोगों को उनकी तरफ आकर्षित करने के काम आ रहा है।असल चौकीदार की हालत तो वैसे भी इस देश में ठीक नही है तो आखिर किस अधार पर हमारे नेताजी खुद को चौकीदार बोल रहे है।अगर चौकीदारों से इतना ही लगाव है तो उनके वेतन और सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम क्यों नही उठाते।
Yash Pradeep-
2019© all rights reserved
INVESTO STAR