Responsive Ad Slot

Showing posts with label मनोरंजन. Show all posts
Showing posts with label मनोरंजन. Show all posts

वसीम बरेलवी के 20 मशहूर शेर

No comments

Wednesday, 3 April 2019

जहाँ  रहेगा  वहीं  रौशनी  लुटाएगा ,
किसी  चराग़  का  अपना  मकाँ  नहीं  होता,

चराग़  घर  का  हो  महफ़िल  का  हो  कि  मंदिर  का
हवा  के  पास  कोई  मस्लहत  नहीं  होती  ,

सभी  रिश्ते  गुलाबों  की  तरह  ख़ुशबू  नहीं  देते  ,
कुछ  ऐसे  भी  तो  होते  हैं  जो  काँटे  छोड़  जाते  हैं  ,

दुख  अपना  अगर  हम  को  बताना  नहीं  आता  ,
तुम  को  भी  तो  अंदाज़ा  लगाना  नहीं  आता  ,

अपने  चेहरे  से  जो  ज़ाहिर  है  छुपाएँ  कैसे  ,
तेरी  मर्ज़ी  के  मुताबिक़  नज़र  आएँ  कैसे  ,

तमाम  दिन  की  तलब  राह  देखती  होगी  ,
जो  ख़ाली  हाथ  चले  हो  तो  घर  नहीं  जाना  ,

किसी  से  कोई  भी  उम्मीद  रखना  छोड़  कर  देखो  ,  
तो  ये  रिश्ता  निभाना  किस  क़दर  आसान  हो जाए  ,

आसमाँ  इतनी  बुलंदी  पे  जो  इतराता  है  ,
भूल  जाता  है  ज़मीं  से  ही  नज़र  आता  है  ,

रात  तो  वक़्त  की  पाबंद  है  ढल  जाएगी  ,
देखना  ये  है  चराग़ों  का  सफ़र  कितना  है  ,

वो  मेरे  घर  नहीं  आता  मैं  उस  के  घर  नहीं  जाता  ,
 मगर  इन  एहतियातों  से  तअल्लुक़  मर  नहीं  जाता  ,

हमारे  घर  का  पता  पूछने  से  क्या  हासिल  ,
 उदासियों  की  कोई  शहरियत  नहीं  होती  ,

शराफ़तों  की  यहाँ  कोई  अहमियत  ही  नहीं  ,
किसी  का  कुछ  न  बिगाड़ो  तो  कौन  डरता  है  ,

हर  शख़्स  दौड़ता  है  यहाँ  भीड़  की  तरफ़  ,
फिर  ये  भी  चाहता  है  उसे  रास्ता  मिले  ,

शर्तें  लगाई  जाती  नहीं  दोस्ती  के  साथ  ,
कीजे  मुझे  क़ुबूल  मिरी  हर  कमी  के  साथ  ,

वो  झूट  बोल  रहा  था  बड़े  सलीक़े  से  ,
मैं  ए'तिबार  न  करता  तो  और  क्या  करता  ,

इसी  ख़याल  से  पलकों  पे  रुक  गए  आँसू  ,
तिरी  निगाह  को  शायद  सुबूत-ए-ग़म  न  मिले  ,

हम  ये  तो  नहीं  कहते  कि  हम  तुझ  से  बड़े  हैं  , 
लेकिन  ये  बहुत  है  कि  तिरे  साथ  खड़े  हैं  ,

मोहब्बत  में  बिछड़ने  का  हुनर  सब  को  नहीं आता  ,
किसी  को  छोड़ना  हो  तो  मुलाक़ातें  बड़ी  करना  ,

ग़म  और  होता  सुन  के  गर  आते  न  वो  'वसीम'  , 
अच्छा  है  मेरे  हाल  की  उन  को  ख़बर  नहीं  ,

शाम  तक  सुब्ह  की  नज़रों  से  उतर  जाते  हैं  ,
इतने  समझौतों  पे  जीते  हैं  कि  मर  जाते  हैं  ,
शब्द                       अर्थ
मस्लहत - prudent measure, policy( नीति)
मुताबिक- like, suitable,identical (समान)
एहतियातों -- caution, precautions ( सावधानी)
तअल्लुक -- relationship (संबंध)
शहरियत -- Citizenship (नागरिकता)
एतिबार -- trust,faith (भरोसा)
मकां -- house (मकान)

It is test video

No comments

Thursday, 21 March 2019

Demo test 2

Only test video only test video
Don't Miss
2019© all rights reserved
INVESTO STAR