चुनावो का दौर चल रहा है और तमाम राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने के लिए नये -नये पैंतरे अपना रही है । बड़ी - बड़ी चुनावी घोषणाएं हो रही है। कांग्रेस ने भी एक ऐसा ही ऐतिहासिक घोषणा किया है जिसमे वह देश के 20 % सबसे ज्यादा गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपए देने का वादा कर रही है।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश से कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वो देश के 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपए देगी। जिसका लाभ 5 करोड़ परिवार और लगभग 25 करोड़ गरीब जनता को होगा। यह रकम 6000 - 6000 रुपये महीना करके उनके घर के महिला मुखिया के खाते में डाली जाएगी । यदि ऐसा होता है तो हम सभी को बड़ी प्रसन्ता होगी ।हमारे देश मे जो गरीबी की समस्या है वो कुछ हद तक कम हो सकेगी ।
हालांकि भोली भाली गरीब जनता इस योजना के बारे में सुनकर और लालच में आकर कांग्रेस को वोट तो दे देगी परन्तु क्या इस "न्याय" योजना से जमीनीस्तर पे जो गरीब है उनको सच में न्याय मिलेगा । यदि भाविष्य में यह योजना लागू हुई तो उन गरीबो को फायदा होगा जो केवल कागज़ी फाइलों में गरीब है। असल में जो गरीब है, जो ऐसी किसी भी योजना के असली हकदार है उन तक ये सभी सुविधाएं नही पहुचेगी क्योकिं किसी भी सरकार के पास सभी असल गरीबो के ठीक - ठीक आकड़े नही है। सरकार के पास वे ही आकड़े है जो गांव के सरपंच, कोटेदार, सिकरेट्री ने उन्हें मुहैया कराये है। मैने निजीतौर पर गांवों में ये देखा है कि जो असल गरीब है उनके पास न तो राशनकार्ड है और है भी तो पात्र गृहस्ति का जबकि वे अंत्योदय कार्ड के हकदार है । जिन लोगो का परिवार सम्पन्न है घर मे सरकारी नौकरी है वे लोग सरपंच से साठ-गांठ करके अंत्योदय कार्ड बनवाकर गरीबो का हक छीन रहे है।
मेंरे कहने का तातपर्य यह है कि चाहे सरकार कोई भी आये , गरीबो के हित मे जो योजनाए लानी है ले आये परन्तु सबसे पहले असल गरीबो की पहचान करें ,गरीबी के सटीक आकड़े जुटाये, बिचौलियों को पकड़े उनपर कार्यवाही करें।
अश्वनी विश्वकर्मा-